हम सभी भारतवासी, भारत के विकास के कारक है क्योकि जो भी वस्तु हम खरीदते है उस पर लगने वाला कर (Tax) विभिन मध्यमों से सरकार के पास जाता है तथा सरकार के लिए काम करने वाले लोग सीधे तोर पर भी कर का भुगतान करते है | ये कर जो हम सरकार को देते है वो इसलिए है ताकि सरकार हर एक भारतीय को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार, सुरक्षा और अन्य प्रारम्भिक आवश्यकताएँ प्रदान करे |
पहले सरकार अपनी नाकामी को छुपाने के लिए झूट का सहारा लेती थी पर अब वो जनता का ही सहारा ले रही है | सरकार, जिसको हम मिलकर हज़ार करोड़ों में कर देते है आज वो हमको हमारा हक देने में नाकामयाब है | आज हम सरकार से ये पूछ्ने का भी साहस नही जुटा पा रहे है की उस पैसे को कहा लगा रही है जो समाज के उत्थान के लिए हम सब मिलकर चुका रहे है |
२१ वी शताब्दी में जहाँ जनसंख्या १२५ करोड़ पहुच गयी है क्या वहाँ सरकार द्वारा उसी अनुपात में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार, सुरक्षा और अन्य प्रारम्भिक आवश्यकताओं की बढ़ोतरी की गयी ? इसका बहुत ही सरल जवाब है - नही | अगर जवाब नही है तो हम सरकार से ये क्यो नही पूछ्ते कि जो पैसा इस देश का हर एक नागरिक किसी ना किसी तरीके से सरकारी कोष में देता है उससे जनता को विकास के नाम पर ज़हर क्यो बाँटा जा रहा है ? आज सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए युवाओं का सहारा ले रही है और अपनी ग़लती को आरक्षण के नाम पर छुपाने का प्रयास कर रही है |
आरक्षण के कारण शिक्षा या रोज़गार में कमी नही है बल्कि सरकार द्वारा प्रयास ना किए जाने की वज़ह से है | इन ६८ सालों में सरकार जिसकी भी रही हो वो जनता को प्रारंभिक आवश्यकतायें देने में नाकाम रही है जिसके कारण आज समाज अपने आप को पिछडा समझता जा रहा है और दिन प्रतिदिन एक नया समाज अपने को पिछडा घोषित कर रहा है चाहे वो हो या ना हो |
इसके अलावा उच्च शिक्षा में जहाँ एक और युवाओ की संख्या बड़े पैमाने पर बढ़ी है वही उच्च शिक्षा संस्थान बड़े पैमाने पर कम है | सरकार द्वारा ग्रामीण विकास के नाम पर घोटालो की लिस्ट तो लंबी है ही वही शहरी विकास के लिए कम नही है | और यही वो पैसा है जो जनता तक ना पहुच कर सबको ग़रीबी की तरफ धकेल रहा है | इस ग़रीबी का सरकार द्वारा खूब फायेदा उठाया जा रहा है जनता को वर्गो की राजनीति का एक नया आयाम देकर |
देश को समरध बनाने के लिए जहा एक और हर व्यक्ति अपनी जेब खाली कर रहा है वही दूसरी और सरकार अपनी नाकामी को आरक्षण का नाम देकर अपना उल्लू सीधा कर रही है | आज युवाओ को ज़रूरत है सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की ताकि वो हर एक भारतीय को वो दे जिसका वो हकदार है |
आरक्षण समाज में फैली विषमताओं को दूर करने का एक माध्यम है जिसको सरकार एक नया नाम देकर प्रस्तुत कर रही है जो समाज के लिए घातक तो है ही वरन युवाओ के लिए कही और ज्यादा | आज देश को सर्वाधिक ग्रामीण विकास की ज़रूरत है जहा ये जातिवाद की जड़ें बहुत ही मजबूती के साथ गड़ी हुई है | जब ग्रामीण विकास होगा तो रोज़गार भी अधिक होंगे और शहरों की तरफ पलायन भी कम होगा | सरकार आरक्षण का नाम लेकर नही बच सकती जोकि उसकी वास्तविकता को मोड़ तोड़ कर पेश कर रही है | हर एक क्षेत्र में ज़्यादा संस्थान ही आज की समस्या का समाधान है ना की आरक्षण की समाप्ति | और इसके लिए सभी को मिलकर आवाज़ उठानी पड़ेगी तभी सरकार की आँखें ग्रामीण और बेरोज़गारों को देख पाएगी |
- बृजमोहन वत्सल.